मारवाड़ी बंजारा ,फ़क़ीर, मीर, देवीपुजक, (गुमन्तु जाति ओ मैं से 2 प्रजातियां)जो सालो से मुख्य धरा से दूर है इन मैं से कई लोग गॉव से दूर अपनी बस्ती बना कर रहते है प्राथमिक शिक्षा तक कि पहुच इस समुदायों मैं अभी न के बराबर है स्कूल न खुलने के कारण जो कुछ बच्चे स्कूल जाते थे वो भी अपने माता पिता के साथ मजदूरी और ईटो के भट्ठों पर काम करने जाते है ( अपनी आर्थिक स्थिति,शिक्षा का मोहोल न होना और स्थानीय तंत्र की लापरवाही) इस के कारण मान सकते है समावेश गुजरात की ऐसी 7 बस्तियोंमें मैं 476 परिवारों के साथ 3 साल से गुमन्तु समुदाय के साथ शिक्षा के मुद्दे के साथ समाजिक संचेतना लाना और उनके अधिकारो के लिए इनको जागृत करके संगठित करने का काम कर रहा है ,कुछ हद तक इन समुदाय की सामुदायिक सहभागिता द्वरा मानसिकता बदलने मैं और बदलाव लाने मैं कमियाबी मिली है ये समुदाय के लोगो शिक्षा का महत्व समझ कर अपने बच्चों का अब स्कूल भेज रहे है पर अभी भी एक बडा हिस्सा इस प्रोसेस मैं है उपरोक्त चित्र मैं हमारे साथे उमेश बंजारा है जो समावेश से जुड़े है और इसी समुदाय से है जो शिक्षा का महत्व समजाते हुए मजदूर परिवारों को श्रमिक कार्ड (लेबर कार्ड) की माहिती,लाभ और उसके लिए कोंन से डॉक्यूमेट चाहिये वो समजा रहे है ,बदलाव एक लम्बी प्रक्रिया है और कभी कभी संजोगो के अधीन हो कर भी चलना पड़ता है पर हमें आशावादी है ,(समावेश)
R.T.E act( मुफ्त और अनिवार्य शिक्षण का अधिकार मै अनिवार्य शब्द केवल समुदाय के लिए नहीं सरकार के लिए भी इतना हि अहम और कर्तव्य सूचक है , महेसाना मे धुमन्तु समुदाय का एक बड़ा हिस्सा अभी भी प्राथमिक् शिक्षा से दूर है जिसका अहम वजह उनका स्थायीकरण न होना भी है ,स्थाई करण शिक्षण के संचार का एक ऊदीपक है ,आज इन समुदाय के आवास के आधिकार को लेकर जिल्ला और ब्लॉक स्तर के आधिकारों से बात कर के उन्कि तक्लिफ् से अव्गत् कराया गया और एक् एप्लीकेशन घूमतु समुदाय ओ के द्वरा देने मै आई आधिकारी ओ ने योग्य रेस्पॉन्स दिया है, वहाब (समुदाय के साथ समावेश)
समावेश टीम द्वारा सर्व करने पर पता चला के महेशाना के उनावा गोव के असपास 6 इंटो भट्ठो पर तकरीबन 320 बच्चे जिनकी उम्र 8से 14 साल के बिच मै है और 96 किशोर् और किशोरियां जिनकी उम्र 14से 16 साल् है काम कर रहे है जिन्मे कुछ बच्चों का केवल स्कूल मै नामांकन हुवा है और ज्यादा तर बच्चे मुख्य धारा के शिक्षन् से दूर हो चुके है नाये साल मै इन्ही बच्चों मै शिक्षा का संचार करने के लिए और वाहा से 3 किलोमीटर दूर स्कूल मै उनकी पहुँच हो या वाही इंटो के भट्ठे पर उनके लिए कोइ शिक्षा की व्यावस्था हो उस के लिए उनके माता पिता को मानशिक तोर पर तैयार करके उनको विश्वास मै लेना जरूरी है इसी Repo building की प्रक्रिया के भाग रूप आज इंट्टो के भट्ठो पर काम कर रहे परिवारों के लिए भट्ठे पर ही ई श्रम कार्ड का केम्प् कर् ने मै आया ताके उनको असंगठीत श्रत्र् के मजदूर के तोर पर उनका नामांन्कन् हो और उनको दूसरे सरकारी लाभ भी मिले (सामावेश टीम्)
सामावेश ट्रस्ट के द्वरा महिलाओ और् बलको के अधिकार् और शिक्षन् पर जागृति कार्यक्रम करने मै आया उनवा ,महेशाना ईंटो के भट्टो पर कम कर रहे महिला और किशोरियों के साथ परिसवाद किया गया जिसमे महिला,बछो और् श्रमिको के आधिकार पर बात की गई ,साथ मै बहनो की सुरक्षा सबन्धित हेल्प लाइन के बारे मै बताया गया ,गुड़ और बेड टच पर खुल कर बात की गई ,ई श्रम कार्ड के बारे मै बता कर वो कार्ड निकाल ने और उनकी सहमती हो तो नाये छत्र से भट्ठे पर STP क्लास सारु करने के लिए सरकार से डिमांड की जायेगी *महेशाना के पास 4 इंट्टो के भट्ठे है जहाँ यूपी,बिहार ,झारखंड से कई मजदुर मजदूरी करने आते है ,साथे मै उनके बच्चे भी यहाँ 9महिने उनके साथे परोक्ष रूप से शीक्षा से दूर रहे कर मजदूरि से जुड़े है इस पूरे। कार्यक्रम का आयोजन समावेश टीम के द्वारा करने मै आया था उल्लेखनीय है के समावेश ट्रस्ट पिछले 4 साल गुमन्तु और शिक्षा से दूर बच्चो को मुख़्य धारा के शिक्षण तक पहुंचने सबन्धित प्रयुक्ति करता है
Be participated in "state leval consultant on goal project & Right to education act"discussing issue and problem on ND,DNT communites and out of main steam childrens. Be alliance to work on this issue (samavesh team)
ये वो बंजारा समुदाय के महिलाओं की खुशी की मोमेंट है जिनको बैंक की तरफ से एक लाख का लोन मिला है !
ये बंजारा समुदाय के लोग पिछले 1 दशक से साहूकारों और माइक्रो फाइनेंस के शोषण युक्त सिस्टम मै फसे थे !
समावेश ऐसे परिवारों के साथ सामाजिक संचेतना और शिक्षा के मुद्दे पर काम् करते है
इसी प्रक्रिया के भाग रूप ऐसी महिला ओ को संगठित करके ,उन मे सेविंग की संस्कृति शरू करने मै आई आज 3 स्लम एरिया मै और 8 गोव मै हमने महिलाओं के ग्रुप बनाये है
हम इस बंजरा समुदाय के महिलाओ को इस ब्याज के चक्कर से बहार निकालने और छोटा कारोबार शरू करने मै मदद करते ताके महिलाएँ आत्मनिर्भर बन पाये .